नमस्कार दोस्तों Top Kro में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम “मोर के बारे में ( Essay on peacock in hindi ) पढेंगे। इस लेख में मोर पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है।
इस पोस्ट में आपको मोर के बारे में कई निबन्ध दिए गए है जैसे मोर पर निबंध 100 शब्दों में, मोर पर निबंध 250 शब्दों में, Mor Par Nibandh 500 शब्दों में तथा मोर पर निबंध 10 लाइन इत्यादि।
Essay on national bird peacock in hindi की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते है। इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि मोर कितना महत्वपूर्ण ओर मनमोहक पक्षी है तथा यह हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी कब और क्यों बना।
मोर पर निबंध 100 शब्दों में – Essay On Peacock In Hindi
मोर दिखने में बहुत ही सुन्दर पक्षी है। पक्षियों का राजा कहा जाने वाला मोर पक्षी मूल रूप से दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता हैं। भारत का राष्ट्रिय पक्षी मोर है।
Peacock भारत में लगभग काफी जगहों पर पाए जाते हैं। मोर में लगभग सभी रंगों का समावेश होता हैं। मोर की पंखो का रंग हरा होता है और मोर की पंखों में चाँद जैसी कई आकृतियां बनी हुई होती है जिसमें कई रंग होते हैं।
मोर हमेशा ऊंचे स्थानों पर ही बैठना पसंद करते हैं। हमें मोर पीपल, नीम और बरगद इत्यादि के पेड़ों पर देखने के लिए आसानी से मिल जायेंगे। मोर के मुंह और गले का रंग बैंगनी होता है। मोर के पंख मखमल के कपड़ों जैसे कोमल और बहुत सुन्दर होते हैं। Peacock हमारा राष्ट्रिय पक्षी है हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।
मोर पर निबंध 250 शब्दों में – Peacock Essay In Hindi
विश्व में अनेक प्रकार के पक्षी होते हैं। कई पक्षी हमें अपने सौन्दर्य से बेहद आकर्षित करते हैं। उनमें से मोर भी अत्यंत मोहक पक्षी है। मोर भारत का राष्ट्रिय पक्षी है। इसका रंग बहुत ही सुंदर व मनमोहक होता हैं। मोर के कंठ का रंग नीला होता है।
इसके सिर पर एक कलगी होती है। मोर के पंख लम्बे होते है जो नीले और सुनहरे रंग के होते हैं। Peacock के पंखों पर चकते बने होते है जो देखने मे काफी सुंदर होते है।
मोर की आवाज कर्करी होती है जो दो किलोमीटर दूर से भी सुनाई दे सकती है। मोर पेड़ की डालियों पर रहना बहुत पसंद करते हैं। भारत में लगभग सभी जगहों पर मोर पाए जाते हैं। इसमें मुख्य स्थान राजस्थान, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश है।
मोर के पंख लम्बे और बड़े होते हैं। इसी कारण मोर ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकते। मोर जमीन पर चलना ज्यादा पसंद करते हैं। Peacock की पंखों में छोटी – छोटी पंखुडियां होती हैं। पंख के अंतिम छोर पर चाँद जैसी बैंगनी रंग की आकृतियां बनी होती है जो देखने में बहुत ही सुन्दर लगती हैं।
जब बारिश होती है तब मोर बहुत ही खुश होते हैं और ये अपनी ख़ुशी पंख फैलाकर और नाचकर जाहिर करते हैं। जब मोर पंख फैलाते हैं तब इसकी आकृति आधे चाँद के सम्मान होती है जो देखने मे बहुत ही अद्भुत लगती है।
मोर को किसी भी प्राकृतिक आपदा का पहले से ही आभास हो जाता है और ये पहले ही हमें संकेत दे देते हैं। जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो ये जोर – जोर से आवाज करने लगते हैं। वास्तव में मोर एक बहुत ही सुंदर व मनमोहक पक्षी है।
मोर पर निबंध 500 शब्दों में – Peacock Par Nibandh
मोर बहुत ही सुन्दर, आकर्षक तथा मनमोहक पक्षी है। बारिश के मौसम में बादलों की काली घटा छाने पर जब मोर अपने पंख फैलाकर नाचता है तो सबका मन मोह लेता है इसलिए मोर को पक्षियों का राजा कहा जाता है।
पंछियों के राजा होने के कारण सृष्टि के रचयिता ने इसके सिर पर एक मुकुट रूपी कलगी लगाई है। मोर सदा से ही मनुष्यों के आकर्षण का केंद्र रहा है। कई धार्मिक ग्रन्थों में मोर को बहुत ही पवित्र माना गया हैं।
मोर को नाचते देख कर लोगों के पाँव थिरकने लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य ने मोर के नाच से प्रेरित होकर ही नाचना सीखा था।
मोर एक सर्वाहारी पक्षी है। यह मुख्य रूप से चना, गेहूँ, बाजरा, मकई इत्यादि खाता है। इसके अतिरिक्त यह फल और सब्जियाँ जैसे बैगन, अमरुद, अनार, टमाटर, प्याज आदि को बड़े चाव के साथ खाता है।
मोर की आकृति
मोर की आकृति हंस की आकृति से कुछ हद तक मिलती जुलती है। इसकी आँख के नीचे सफेद-रंग का घेरा होता है। इसका नर वर्ग मादा वर्ग से ज्यादा मनमोहक होता है। जिसका सीना और गर्दन चमकीले नीले रंग का होता है तथा गहरे हरे रंग के पंखों का गुच्छा होता है। जिनकी संख्या 150 से 200 होती है।
मादा मोर (मोरनी) हल्के भूरे रंग की होती है। यह मोर से थोड़ी छोटी होती है तथा इसके पास पंखों का गुच्छा नहीं होता है। मोर की उम्र 25 से 35 वर्ष होती है। नर मोर की लम्बाई 215 सेंटीमीटर तथा मादा मोर की लम्बाई लगभग 50 सेंटीमीटर होती हैं। नर मोर पर बड़ी कलगी तथा मादा मोर पर छोटी कलगी होती हैं जिससे इन्हें पहचानने में आसानी होती है।
मोर की प्रजातियाँ
मोर की 2 प्रजातियाँ होती हैं:- नीला या भारतीय मोर जिसे पैवो क्रिस्टेटस भी कहा जाता है जो मुख्यतः भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। तथा दूसरा हरा व जावा का मोर जिसे पैवो म्यूटिकस भी कहा जाता है जो मुख्यतः म्यांमार तथा जावा में पाया जाता है। सन 1913 में एक पंख मिलने से शुरू हुई खोज के बाद सन 1936 में कांगो मोर (अफ्रो पैवो काँनजेनेसिस) का पता चला।
कांगो मोर मुख्यतः अफ्रीका में पाया जाता है। इसका नर वर्ग नीले या हरे रंग का होता है। जिसकी पूंछ छोटी तथा गोल होती है। कांगो मोर का मादा वर्ग लाल या हरे रंग का होता हैं। इसका ऊपरी भाग भूरे रंग का होता है। यह ज्यादा ऊँचाई तक नहीं उड़ सकते हैं, परन्तु इनके सूंघने की क्षमता बहुत ही तीव्र होती हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण यह अपने दुश्मनों से बच पाते हैं।
इतिहास व महत्व
भगवान श्री कृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के महत्व को दर्शाता है। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य “मेघदूत” में मोर को राष्ट्रीय पक्षी से भी अधिक ऊँचा दर्जा दिया है। मोर कई राजाओं और महाराजाओं का भी पसन्दीदा पक्षी था।
प्रसिद्ध सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में जो सिक्के चलते थे उनमें एक तरफ मोर का चित्र बना हुआ होता था। मुगल बादशाह शाहजहाँ ने एक तख़्त-ए-ताऊस बनवाया था जिसमे दो मोरों को नाचते हुए दर्शाया गया था। इसे मयूर-सिंहासन के नाम से जाना जाता था। बाद में नादिरशाह यह सिंहासन लूट कर ईरान ले गया।
मोर का प्रजनन काल
प्रजनन काल में नर दो से पाँच मादाओं के साथ सम्बन्ध बनाता है। मादा मोर साल में दो बार अंडे देती है तथा अंडों की संख्या 6 से 8 तक रहती है। अंडों में से 25 से 30 दिनों में बच्चे निकल आते हैं। मोर के बच्चे कम संख्या में ही बच पाते हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश को कुत्ते तथा सियार खा जाते हैं।
मोर संरक्षण कानून
हमारे देश में मोर का शिकार होने के कारण इनकी कुछ प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने मोर की सुरक्षा के लिए सन् 1972 में मोर संरक्षण कानून बनाया।
यह कानून मोर की संख्या बढ़ाने और उनकी रक्षा के लिए बनाया गया। मोर की संख्या में बढ़ोतरी की जाए इसके लिए भारत सरकार कई प्रकार के मोर संरक्षण अभियान चलाती आ रही है। इस कानून के बनने के बाद भारत में मोर की संख्या में सुधार आया है।
उपसंहार
मोर की इन्हीं विशेषताओं के कारण भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। मोर का पौराणिक महत्व भी है। मोर का इतना महत्व उसकी सुन्दरता तथा मनमोहक रूप के कारण ही है। मोर को बचाने के लिए हमें भी सरकार का सहयोग करना चाहिए। क्योंकि इनकी प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है।
मोर पर 10 लाइन – 10 Lines On Peacock In Hindi
- मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
- मोर वर्षा ऋतू में अपने पंख खोल कर नृत्य करता है तथा बहुत ही सुंदर लगता है।
- 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा मिला था।
- मोर की आयु औसतन 25 से 35 साल तक होती है|
- भारतीय मोर लगभग 1 से 1.5 मीटर तक लम्बा होता है।
- भारतीय मोर का वजन 4 से 6 किलोग्राम तक हो सकता है।
- मोर के पंख का उपयोग भगवान कृष्ण अपने मुकुट में करते थे तथा यह भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन भी है।
- मोर सर्वाहारी पक्षी है, जो बाजरे के दाने और फल के अलावा कीड़े मकोड़े आदि भी खाता है।
- मोर की गर्दन लंबी और मोटी होती है और सिर पर छोटी कलगी होती है।
- मोर को अक्सर जंगल में या फिर छोटे बड़े पेड़ो के बिच में झुंड के रूप में देखा जा सकता है।
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