इस पोस्ट में आपको हरियाणा के प्रमुख मंदिरों ( Haryana ke parmukh mandir ) के बारे में जानकारी मिलेगी| ये है हरियाणा के प्रसिद्ध मंदिरों का पार्ट 1 है बाकि अन्य शेष मंदिरों की जानकारी के लिए हरियाणा के प्रसिद्ध मंदिर पार्ट 2 पढ़ें| उम्मीद करता हूँ आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी|
Haryana Ke Mandir List In Hindi
पुराना शिव-पार्वती मंदिर ( Purana Shiv Parvati Mandir )
हरियाणा के पुण्डरी (कैथल) नामक कस्बे में सदियों पुराना शिव-पार्वती मंदिर हैं। पुंडरी कस्बे का नाम सूर्यवंशी राजा पुण्डरीक के नाम पर पड़ा। पुंडरी “फिरणी” के लिए प्रसिद्ध है पुण्डरीक तीर्थ पर रामनवमी के समय मेला लगता है।
पुण्डरी कैथल का खण्ड है। कैथल में”टोपियों वाला गुरुद्वारा” नामक स्थान पर प्रसिद्ध ग्रंथ “गुरु ग्रंथ साहिब व रामायण” दोनो ग्रंथ साथ पढ़े जाते हैं।
मनसा देवी का मंदिर पंचकूला ( Mansa Devi Mandir )
चंडीगढ़ से कुछ ही दूरी पर स्थित मनीमाजरा के निकट मनसादेवी का मंदिर है। इस मंदिर का बड़ा महत्व माना जाता है इस मंदिर मे पूजा करने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। यहाँ पर चैत्र और आश्विन नवरात्रो में मेला लगता है। हरियाणा सरकार ने इस मंदिर परिसर का अदिग्रहण कर लिया है।
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पंचमुखी हनुमान मंदिर ( Panchmukhi Hanuman Mandir )
जगाधरी (यमुनानगर) से कुछ दूरी पर छछरौली-बिलासपुर सड़क पर डाका का पंचमुखी हनुमान मंदिर स्थित है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी मूर्ति वर्षों पुरानी है। ऐसी ही तीन मूर्तियाँ जिसमें से एक डाका में ,दूसरी सूरत में तथा तीसरी दक्षिण भारत में स्थित है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं की बडी भारी भीड़ होती है।
शिव मंदिर किलोई ( Shiv Mandir Kiloi)
रोहतक जिले के किलोई गांव के बाहर स्थित पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर में शिवलिंग में शिव की मूर्ति बनी हुई है, जो बहुत कम पाई जाती है। यहाँ पर वर्ष में फरवरी तथा अगस्त मे मेले लगते हैं, यहाँ दूर-दूर से बहुत सारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
भगवान परशुराम सर्वधर्म मन्दिर ( Bhagwan Parshuram Sarwdharm Mandir )
जगाधरी (यमुनानगर) में भगवान परशूराम सर्वधर्म मंदिर स्थित है। यह मंदिर काफी गहरा ओर ऊँचा है। इस मंदिर में सभी धर्मों के अवतारों और देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इसमें लोगों की सुविधा की पूरी व्यवस्था है।
पंचम कालीन जैन मंदिर ( Pancham Kalin Jain Mandir )
यमुनानगर जिले के बूड़िया नामक कस्बे में बहुत पुराना पंचकाल का श्री दिगम्बर जैन मंदिर है। यहाँ पर बहुत वर्ष पहले खुदाई में एक पार्शवनाथ की मूर्ति निकली जो इसे मंदिर में स्थापित कर दी गई थी। इस मंदिर में महावीर स्वामी, विमलनाथ, देवी पद्मावती की मूर्तियां भी स्थापित है। जैनधर्म से संबंधित प्रमुख तीर्थों में से यह मंदिर भी एक है।
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आदि बद्री नारायण मंदिर ( Adi Badri Narayan Mandir )
जगाधरी से कुछ दूरी पर बिलासपुर रणजीतपुर मार्ग पर कठगढ़ गांव में शिवालिक की पहाड़ियों में यह मंदिर स्थित हैं। इसी स्थान से सरस्वती का उद्गम हुआ था। ऋषि वेदव्यास जी ने सरस्वती नदी पर बैठ कर श्रीमद्भगवत महापुराण की रचना की थी। वैशाख की सातवीं तीज को प्रत्येक वर्ष यहां विशाल मेला लगता है।
स्थानेश्वर महादेव मन्दिर ( Sthaneshwar Mahadev Mandir )
थानेसर (कुरुक्षेत्र) नगर के उत्तर के कुछ फर्लांग की दूरी पर सम्राट हर्षवर्धन के पूर्वज राजा पुष्य भूति द्वारा निर्मित यह मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव का निवास स्थल है। मंदिर की वास्तुकला की शैली क्षेत्रीय है, प्रमुख मराठा सदाशिव राव द्वारा इस मंदिर का पुननिर्माण करवाया गया।
देवीकूप – भद्रकाली मन्दिर ( Maa Bhadrakali Mandir )
यह मन्दिर कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन के निकट सांसा रोड पर स्थानु (शिव) मंदिर के निकट है। प्राचीनकाल से ही लोग पूजा-अर्चना करने के लिए थानेसर की यात्रा करते है। यह उपासकों की मनोकामना पूरी होती है।
दुःखभंजनेश्वर मन्दिर ( Dukh Bhajneswar Mandir )
यह मन्दिर कुरुक्षेत्र में सन्निहत सरोवर के निकट है लोग यहां अपने दुःख और कष्ट निवारण हेतु यहां पूजा करने आते हैं।
नारायण मन्दिर ( Narayan Mandir )
यह मन्दिर भी कुरुक्षेत्र में सन्निहत सरोवर के तट पर स्थित है। यहां पर चतुर्भुज नारायण एवं ध्रुव भगत की प्रतिमाएं हैं। भगवान हनुमान और दुर्गा देवी की प्रतिमाएँ भी इस मन्दिर में है।
लक्ष्मी नारायण मन्दिर ( Lakshmi Narayan Mandir )
कुरुक्षेत्र में सन्निहत सरोवर के निकट ही भगवान लक्ष्मी नारायण मन्दिर स्थित है। दक्षिण भारत के कला का वैभव इस मन्दिर में देखने को मिलता है। यह मंदिर उस समय की कला का अनुपम नमूना है|
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सर्वेश्वर महादेव मन्दिर ( Sarveshwar Mahadev Mandir )
सर्वेश्वर महादेव का मन्दिर कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर के बीच मे स्थित है। यहां पर भगवान गरूड़, नारायण, शिवलिंग, शिव-पार्वती और गणेश तथा नंदीगण की मूर्तियाँ भी यहाँ स्थापित हैं। यहां पर महाभारत काल मे कुन्ती ने भगवान शंकर की आराधना की थी।
बिरला मन्दिर ( Birla Mandir )
कुरुक्षेत्र -पेहोवा सड़क पर स्थित यह मंदिर थानेसर रेलवे स्टेशन के समीप है। इस मन्दिर का निर्माण श्री जुगलकिशोर बिरला ने वर्ष 1955 में करवाया था और इसका नाम भगवद् गीता मन्दिर रखा। मन्दिर के अंदर भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित हैं।
भगवान शिव मन्दिर- माधोवाला मंदिर
यह मन्दिर महेन्दरगढ़ जिले में नारनौल-रेवाड़ी मार्ग पर स्थित है। इस क्षेत्र का यह एक प्रमुख प्रशिद्ध मन्दिर है। रक्षाबंधन पर यहां एक बड़ा मेला लगता है।
ग्यारह रुद्री शिव मन्दिर
यह मन्दिर कैथल के प्रशिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मन्दिर के अंदर ग्यारह शिवलिंग है मन्दिर के गुबंद पर कई देवी-देवताओं, मोर, गरूड़ आदि के चित्र बने हैं। इस मन्दिर में स्थित कर्मशाला की छत से कैथल नगर का सुंदर दृश्य परिलक्षित होता है।
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अम्बकेश्वर महादेव मन्दिर – Ambkeshwar Mahadev Mandir
यह मन्दिर कैथल में स्थित है। शिलाखेड़ा के राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहां स्थित शिवलिंग को स्वयंलिग भी कहा जाता है। इस मन्दिर में अम्बे माँ की प्रतिमा है यह मन्दिर महाभारतकाल से भी पुराना है।
हनुमान मन्दिर कैथल
यह मंदिर कैथल नगर के मध्य स्थित है। हनुमान मन्दिर बहुत प्राचीन मन्दिर है। यह मन्दिर मुगलकाल से भी पहले का है। इस मन्दिर में जन्माष्टमी, हनुमान जयंती आदी त्यौहार बड़ी धूमधाम से हर साल मनाये जाते हैं।
देवी तालाब का शिव मन्दिर
पानीपत में स्थित यह मन्दिर, मराठा सरदार मंगल रघुनाथ द्वारा पानीपत की तीसरी लड़ाई के उपरांत बनवाया गया था। इसके बाद वह स्वयं भी पानीपत में बस गए थे। यह मन्दिर कला का उत्कृष्ट नमूना है।
शिव मन्दिर
यह मंदिर करनाल के चौड़ा बाजार में स्थित है जिसके प्रति इस क्षेत्र के लोगों की बड़ी श्रद्धा है। शिवरात्रि वाले दिन इस शिव मन्दिर विशाल मेला लगता है।