इस लेख में आपको हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ( Kurukshetra District In Haryana ) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने को मिलेगी| कुरुक्षेत्र जिले से संबंधित बहुत सारे प्रश्न कई बार Hssc के एग्जाम में पूछे जाते हैं|
कुरुक्षेत्र का इतिहास – History of Kurukshetra
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इस जिले में एक वाल्मीकि आश्रम है, जहाँ पर बाबा लक्ष्मण गिरी महाराज द्वारा जीवित समाधि ली गई थी। यहाँ पर सूर्यग्रहण के समय लाखों श्रद्धालु स्नान व धर्मानुष्ठान के लिए आते है। वृद्ध ओर अशक्त लोग यहाँ मुक्ति प्राप्त करने की आशा से आते है।
कुरुक्षेत्र कहां है? – Kurukshetra Kahan Hai
Kurukshetra जिला भारत के हरियाणा राज्य में स्थित है| कुरुक्षेत्र बहुत प्राचीन स्थल है| महाभारत का महान युद्ध कुरुक्षेत्र की धरती पर ही हुआ था|
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कुरुक्षेत्र का नामकरण
कुरुक्षेत्र कब बना? – Kurukshetra Kab Bana
हरियाणा का कुरुक्षेत्र जिला 23 जनवरी 1973 में बनाया गया था| इससे पहले Kurukshetra जिला करनाल जिले का ही भाग था|
पर्यटन स्थल
- बिरला मन्दिर
- कपाल मोचन
- महाकाली मन्दिर
- 360 तीर्थ
- ब्रह्मसरोवर
- ज्योतिसर
- कमली वाले बाबा का डेरा
- पंचवटी
- गीता भवन
- चन्द्ररूप
- कालेश्वर तीर्थ
- प्राची कुबेर तीर्थ
- नरकतरी कमोदा
प्रमुख मन्दिर
- दुखभंजनेस्वर मन्दिर कुरुक्षेत्र
- नारायण मंदिर कुरुक्षेत्र
- लक्ष्मीनारायण मन्दिर कुरूक्षेत्र
- सर्वेश्वर मन्दिर कुरुक्षेत्र
- बिड़ला मन्दिर कुरुक्षेत्र
- भद्रकाली(देवीकुप) मन्दिर कुरुक्षेत्र
- स्थानेस्वर महादेव ( शिव) मंदिर कुरुक्षेत्र
- अदिति का मंदिर अमीन गांव ( कुरुक्षेत्र)
प्रमुख मेले
- सूर्यग्रहण स्नान
- पेहोवा का मेला
- देवी का मेला
- मारकण्डा का मेला
- महावीर जयंती उत्सव
- वैसाखी का मेला
कुरुक्षेत्र महोत्सव ( kurukshetra festival )
यह महोत्सव दिसंबर मास में कुरुक्षेत्र शहर में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव श्रीमद भागवत गीता के प्रणयन की वर्षगांठ की स्मृति में मनाया जाता है। यहां शोलका गायन का आयोजन भी होता है।
प्रमुख स्थल
1) सर्वेश्वर महादेव मंदिर– यह प्रसिद्ध मंदिर बाबा श्रवणनाथ के द्वारा बनवाया गया था। इसे कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में एक माना जाता है।
2) कमलेश्वर तीर्थ – यह अतिप्राचीन धार्मिक स्थान है। यहाँ पाप नाशक लिंग की पूजा की प्रथा प्राचीन समय से की जा रही है।
3) पेहोवा – यह प्राचीन काल से ही तीर्थ यात्रा का केन्द्र है। करनाल गजेटियर इसके नाम की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द पृथुुुदक पृथु का तालाब से है जो राजा वेण का पुत्र था। यहाँ से प्राप्त 9वीं सदी के दो शिलालेखों से पता चलता है कि उस समय यह कन्नौज से राजा भोज ओर उसके पुत्र महेन्द्रपाल के शासन में सम्मिलित था।
4) लाडवा – यह कुरुक्षेत्र ( kurukshetra ) से लगभग 20 किमी दूर कुरुक्षेत्र – यमुनानगर सड़क पर स्थित है। यह नगर भी सिक्खों के घरानों का था। इस नगर के पास एक सरोवर है जिसके किनारे पर एक देवी का मंदिर है जहाँ प्रतिवर्ष बड़ा भारी मेला लगता है।
5) शाहबाद मारकण्डा –यह नगर जीटी रोड पर कुरुक्षेत्र से 23 किमी की दूरी पर, मारकण्डा नदी के किनारे बसा हुआ है। सन 1192 में तरावड़ी की लड़ाई के पश्चात शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी के जनरल ने इस नगर की स्थापना की थी।
6) थानेसर (स्थाण्वीश्वर) – बोद्ध तथा जैन साहित्य में जिस थूण तथा थूणा गाम का उल्लेख है वही आगे चलकर स्थाण्वीश्वर नगर कहलाया। यह श्रीकंठ जनपद की राजधानी थी।
शक्तिशाली वर्धन वंस का उदय यहीं हुआ था, जिसमें दो प्रतापी शासकों – प्रभाकर वर्धन ओर हर्षवर्धन के समय यह नगर गौरव की चरमसीमा पर पहुंचा था लेकिन हर्षवर्धन को तत्कालीन राजनेतिक परिस्थितियों के कारण अपनी राजधानी कन्नौज बनानी पड़ी।
7) कुरुक्षेत्र के श्रीकृष्ण संग्रहालय – सन 1987 में श्रीकृष्ण संग्रहालय की स्थापना कुरुक्षेत्र में कई गई। 1991 में यहाँ संग्रहालय अपने वर्तमान भव्य व दर्शनीय स्वरूप में बनकर तैयार हुआ।
9) कल्पना चावला प्लेनिटेरियम – प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की स्मृति में निर्मित किया गया प्लेनिटेरियम।
कुरुक्षेत्र में अन्य
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