नमस्कार दोस्तों Top Kro में आपका स्वागत है। संख्याओं के बारे में जानकारी गणित का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय है। इस पोस्ट में आपको Purnank sankhya के बारे में जानकारी मिलेगी। इस संख्या का उपयोग विभिन्न अंकगणितीय कार्यों जैसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग आदि को करने के लिए किया जाता है।
मुख्य रूप से, इस टॉपिक पर कम्पटीशन एग्जाम में काफी प्रश्न भी पूछे जाते है इसलिए, पूर्णांक संख्याओ का अध्ययन आवश्यक है। इस लेख के माध्यम से आप जान पाएंगे कि Purnank sankhya kise kahate hain, पूर्णांक संख्या की परिभाषा, पूर्णांक संख्याएं कितने प्रकार की होती है, Purnank sankhya के गुण व नियम इत्यादि के बारे आप जानेंगे।
पूर्णांक संख्या किसे कहते है – Integers Kise Kahate Hain?
पूर्ण संख्याओ के समूह में ऋणात्मक संख्याओं को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती है, उन्हें हम पूर्णाक संख्या कहते है।
दुसरें शब्दों में, प्राकृत संख्याओं के समूह में शून्य और ऋणात्मक संख्याओं को शामिल करने पर वह Purnank sankhya कहलाती हैं।
पूर्णांक का अर्थ – Purnank Ka Arth
पूर्णांक शब्द लैटिन भाषा के शब्द “इंटेगर ( Integer )” से उत्पन्न हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है सम्पूर्ण। यह पूर्ण संख्याओं का एक विशेष समूह है जिसमें शून्य, धनात्मक संख्या और ऋणात्मक संख्याएँ शामिल होती हैं।
जैसे; ….., -7, -6, -5, -4, -3, -2, -1 ,0,1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, …… इत्यादि सभी पूर्णांक सँख्याएँ है।
पूर्णांक संख्या के प्रकार – Types of Integers in Hindi
पूर्णांक संख्याओं को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है। आइये अब इन तीनों के बारे में विस्तार से चर्चा कहते है।
1) शून्य पूर्णांक
2) धनात्मक पूर्णांक
3) ऋणात्मक पूर्णांक
1). शून्य पूर्णांक – Zero Intergers
शून्य ( Zero ) को Purnank sankhya का एक अंग माना जाता है। शून्य न तो धनात्मक पूर्णांक संख्या है और न ही ऋणात्मक। शून्य एक Purnank sankhya जरूर है लेकिन न तो धनात्मक पूर्णांक है और न ही ऋणात्मक पूर्णांक।
2). धनात्मक पूर्णांक – Positive Integers in Hindi
धनात्मक पूर्णांक सँख्याएँ मुख्यतः प्राकृत सँख्याएँ होती है। इन्हें Counting Number अर्थात गिनती की संख्या भी कहा जाता है जो अनंत तक होती है। धनात्मक पूर्णांक संख्याओं को संख्या रेखा पर दाईं तरफ अंकित किया जाता है और इसे Z+ से सूचित किया जाता है।
आमतौर पर धनात्मक पूर्णांकों के आगे लिखने की सुविधा के लिए कोई भी चिन्ह नहीं लगाया जाता लेकिन कभी – कभी हम आवश्यकता के अनुसार धनात्मक पूर्णांकों के आगे धनात्मक चिन्ह लगा लेते हैं। ये Purnank sankhya रेखा पर शून्य के दायीं और स्थित होते हैं। 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10… इत्यादि धनात्मक पूर्णांक सँख्याएँ है।
3). ऋणात्मक पूर्णांक – Negative Integers In Hindi
ऐसी पूर्णांक सँख्याएँ जो सामान्यतः शून्य से कम हो, उन्हें ऋणात्मक पूर्णांक कहते है। अर्थात ऋणात्मक पूर्णांक प्राकृत संख्या का ऋणात्मक रूप होता है जिसे Z– द्वारा सूचित किया जाता है।
इन संख्यायों के आगे ऋणात्मक चिन्ह (negative sign) लगा होता है। यह संख्या रेखा पर शून्य के बायीं तरफ लिखी जाती है। जैसे -1, -2, -3, -4, -5, -6, -7, -8, -9, -10.. इत्यादि ऋणात्मक पूर्णांक सँख्याएँ है।
पूर्णांक संख्या का नियम – Rules Of Integers In Hindi
- दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणन एक धनात्मक पूर्णांक होता है।
- किसी पूर्णांक और उसके व्युत्क्रम का गुणनफल 1 के बराबर होता है।
- दो धनात्मक पूर्णांकों का योग धनात्मक होता है।
- सभी प्राकृत सँख्याएँ पूर्णांक सँख्याएँ है।
- सभी पूर्ण संख्या Purnank sankhya है।
- किसी भी पूर्णांक को एक (1) से भाग देने पर हमे वह पूर्णांक ही प्राप्त होता है।
- सभी धनात्मक पूर्णांक संख्या रेखा पर 0 के दायीं ओर तथा सभी ऋणात्मक पूर्णांक संख्या रेखा पर 0 के बायीं ओर स्थित होते हैं।
- दो पूर्णांक जिनका योग शून्य हो एक-दूसरे के योज्य प्रतिलोम कहलाते हैं। ये एक दूसरे के ऋणात्मक भी कहलाते हैं।
- जब एक धनात्मक पूर्णांक को एक ऋणात्मक पूर्णांक से भाग दिया जाता है या जब एक ऋणात्मक पूर्णांक को एक धनात्मक पूर्णांक से भाग दिया जाता है, तो प्राप्त भागफल ऋणात्मक होता है।
- एक ऋणात्मक पूर्णांक को दूसरे ऋणात्मक पूर्णांक से भाग देने पर प्राप्त भागफल एक धनात्मक होता है ।
- किसी भी पूर्णांक x के लिए, हम पाते हैं कि x ÷ 0 परिभाषित नहीं है।
- किसी भी पूर्णांक x के लिए, हम पाते हैं कि x ÷ 1 = x है।
पूर्णांकों के जोड़, घटा, गुणा एवं भाग के नियम
गणित में संख्याओं की कैलकुलेशन करना उतना सरल नही है जितना हम समझते है। लेकिन अगर नियम पता हो तो ये काम बहुत ही आसान है। गणना करने के लिए एक विशेष नियम होता है जिसके द्वारा गणना की जाती है जो इस प्रकार है-
पूर्णांक संख्या के योग का नियम
1). (–) + (–) = (+)
अगर दी गयी दोनों सँख्याएँ ऋणात्मक है और उनका जोड़ करना हो तो दोनों सँख्याएँ आपस मे जुड़ जाएंगी लेकिन निशान हमेशा ऋणात्मक रहेगा। जैसे (-3) + (-4) = -7 यहां 3 ओर 4 दोनों ऋणात्मक सँख्याएँ हैं और इनका जोड़ 7 होगा लेकिन 7 के साथ निशान ऋणात्मक रहेगा।
2). (+) + (+) = (+)
अगर दी गयी दोनों Purnank sankhya धनात्मक है और उनका जोड़ करना हो तो दोनों सँख्याएँ आपस मे जुड़ जाएंगी। जैसे (3) + (4) = 7 यहां 3 ओर 4 दोनों धनात्मक सँख्याएँ हैं और इनका जोड़ 7 होगा।
3). (–) + (+) = (–,+)
अगर दी गयी दो संख्याओं में एक ऋणात्मक हो और दूसरी धनात्मक तथा उनका जोड़ करना हो तब दोनों संख्याओं का जोड़ करने पर प्राप्त उत्तर के साथ वही चिन्ह आएगा जो उन दोनों में से बड़ी संख्या के साथ है।
जैसे (-3) + (+4) = 1 यहां दी गयी दोनों संख्याओं में से बड़ी संख्या के साथ धनात्मक चिन्ह है तो प्राप्त उत्तर भी धनात्मक होगा।
(-4) + (+3) = -1 होगा क्योंकि अब बड़ी संख्या 4 है और 4 के साथ ऋणात्मक चिन्ह है तो प्राप्त उत्तर के साथ भी ऋणात्मक चिन्ह आएगा।
4). (+) + (–) = (–)
अगर दी गयी दो संख्याओं में एक Purnank sankhya धनात्मक हो और दूसरी ऋणात्मक तथा उनका जोड़ करना हो तब दोनों संख्याओं का जोड़ करने पर प्राप्त उत्तर के साथ वही चिन्ह आएगा जो उन दोनों में से बड़ी संख्या के साथ है।
जैसे (+4) + (-3) = 1 यहां दी गयी दोनों संख्याओं में से बड़ी संख्या के साथ धनात्मक चिन्ह है तो प्राप्त उत्तर भी धनात्मक होगा।
(+3) + (-4) = -1 होगा क्योंकि अब बड़ी संख्या 4 है और 4 के साथ ऋणात्मक चिन्ह है तो प्राप्त उत्तर के साथ भी ऋणात्मक चिन्ह आएगा।
पूर्णांक संख्याओं के घटाव का नियम
1). (–) – (–) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों और दोनों Purnank sankhya ऋणात्मक हों तथा हमें उनका घटाव करना हो तो दूसरे पूर्णांक का चिन्ह बदलकर धनात्मक हो जाएगा। जैसे (-4) – (-6) = (-4) +6 = 2। यहां 6 से पहले दो बार घटा का निशान है जो आपस मे गुना होकर + के निशान में बदल गया।
2). (+) – (+) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों और दोनों ऋणात्मक हों तथा हमें उनका घटाव करना हो तो हम उनका घटाव कर सकते हैं जैसे (+5) – (+4) = 1
3). (–) – (+) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा उनमें से एक ऋणात्मक हो और दूसरा धनात्मक हो तथा उनका घटाव करना हो तो वे सँख्याएँ जुड़ जाएगी तथा प्राप्त उत्तर के साथ ऋणात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (-7) – (+6) = -13
4). (+) – (–) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा उनमें से एक धनात्मक हो और दूसरा ऋणात्मक हो तथा उनका घटाव करना हो तो वे सँख्याएँ जुड़ जाएगी तथा प्राप्त उत्तर के साथ धनात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (+7) – (-6) = (+7) + 6 = 13
पूर्णांक संख्याओं के गुणनफल का नियम
1). (–) × (–) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा दोनों पूर्णांक ऋणात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो उन संख्याओं के गुणनफल के साथ धनात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (-6) × (-4) = +24
2). (+) × (+) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा दोनों Purnank sankhya धनात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो उन संख्याओं के गुणनफल के साथ धनात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (+6) × (+4) = +24
3). (–) × (+) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा उनमें से एक ऋणात्मक हो और दूसरा धनात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ ऋणात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (-7) × (+6) = -42
4). (+) × (–) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा उनमें से एक धनात्मक हो और दूसरा ऋणात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ ऋणात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (+7) × (-6) = -42
पूर्णांक संख्याओं के भागफल का नियम
1). (–) ÷ (–) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा दोनों Purnank sankhya ऋणात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ धनात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (-6) ÷ (-3) = +2
2). (+) ÷ (+) = (+)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा दोनों Purnank sankhya धनात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ धनात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (+6) ÷ (+3) = +2
3). (–) ÷ (+) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा एक पूर्णांक ऋणात्मक हो ओर दूसरा पूर्णांक धनात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ ऋणात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (-6) ÷ (+3) = -2
4). (+) ÷ (–) = (–)
अगर हमें दो पूर्णांक दिए गए हों तथा एक पूर्णांक धनात्मक हो ओर दूसरा पूर्णांक ऋणात्मक हो तथा उनकी गुणा करनी हो तो गुणनफल के बाद प्राप्त उत्तर के साथ ऋणात्मक चिन्ह आएगा। जैसे (+6) ÷ (-3) = -2
ऊपर दिए गए सभी नियम संख्याओं की गणना करने के लिए आवश्यक है। हालांकि, यह मैथ्स की प्रथम इकाई है लेकिन इसके विषय में विद्यार्थियों को अधिक जानकारी न होने के कारण बहुत सारे प्रश्न गलत हो जाते है। अगर आप इन नियमों का ध्यान रखेंगे तो गणित में संख्याओं से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
पूर्णांक कौन-कौन से होते है?
गणित में विभिन्न प्रकार की संख्याएँ है जो Purnank sankhya के अंतर्गत आती है जैसे प्राकृत संख्या, पूर्ण संख्या, परिमेय संख्या, सम संख्या, विषम संख्या, भाज्य संख्या, अभाज्य संख्या आदि।
FAQ About Purnank Sankhya
Q.1. पूर्णांक संख्या किसे कहते है?
Q.2. सबसे बड़ी पूर्णांक संख्या कौन-सी है?
Q.3. सबसे बड़ी ऋणात्मक पूर्णांक संख्या कौन सी है?
Q.4. धनात्मक पूर्णांक किसे कहते हैं?
Q.5. पूर्णांक कितने प्रकार के होते है?
Q.6. सबसे छोटी पूर्णांक संख्या कौनसी है?
Q.7. सबसे छोटी ऋणात्मक पूर्णांक संख्या कौनसी है?
Q.8. क्या सभी परिमेय संख्या पूर्णांक संख्या होती है?
Q.9. सबसे छोटी धनात्मक पूर्णांक संख्या कौनसी है?
Q.10. पूर्णांक संख्या को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उम्मीद करता हूं दोस्तों की पूर्णांक संख्या ( Purnank Sankhya ) से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आप ऐसे ही पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।
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