रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध – Rani Lakshmi Bai Essay In Hindi

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम बात करेंगे Rani Laxmi Bai essay in hindi के बारे में। रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध कैसे लिखें अगर आप उसके बारे में नहीं जानते हैं तो आपके लिए आर्टिकल बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि मैं आपको बताऊंगा कि रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध कैसे लिखेंगे आइए जानते हैं।

इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि रानी लक्ष्मीबाई कौन थी, रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कब हुआ, रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कब और कैसे हुई तथा रानी लक्ष्मीबाई ने कोनसी लड़ाइयां लड़ी? इत्यादि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें।

इस पोस्ट में आपको रानी लक्ष्मीबाई पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध 100 शब्दों में, रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 300 शब्दों में, Rani Lakshmi Bai par nibandh 500 शब्दों में तथा रानी लक्ष्मी बाई पर 10 लाइन इत्यादि।

रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध 100 शब्दों में – Rani Laxmi Bai Essay In Hindi

रानी लक्ष्मी बाई भारत की ऐसी हो जाती है जिन्होंने अपने संघर्ष और तपोबल से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी और वीरगति को प्राप्त हुए थीI उनके द्वारा किया गया संघर्ष हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत है और भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अतुलनीय है I इतिहास के पन्नों उनका नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया है I

रानी लक्ष्मीबाई ने इस बात को साबित किया कि महिलाएं किसी भी मोर्चे पर कमजोर और निर्मल नहीं आया वक्त आने पर महिलाएं मां चंडी और काली का रूप भी ले सकती है और दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकती है I रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1835 में बनारस में हुआ था तथा रानी लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था।

बचपन का नाम इनका मनु था। बचपन से ही तलवारबाजी घुड़सवारी तीर चलाना जैसी चीजें सीख लिया था I मनु बहुत चतुर थी। उसने बचपन में ही संस्कृत, हिंदी और मराठी सीख ली थी। सन् 1842 में उसका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ। जिसके बाद उनको एक संतान थी प्राप्त हुई थी लेकिन उसके लिए तो कुछ दिनों के अंदर हो गई।

इसके बाद रानी ने दामोदर राव नाम के एक बालक को गोद लिया। अंग्रेज़ उनके राज्य को हड़पना चाहते थे। लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए 1858 वीरगति को प्राप्त हुई I इस प्रकार देश ने एक वीरांगना को खो दिया।

रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध 300 शब्दों में – Rani LaxmiBai Essay in Hindi

भारत की वीर नारियों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है I भारत की आजादी के लिए उन्होंने अपना प्राण तक निछावर कर दिया भारत के प्रत्येक नागरिक को रानी लक्ष्मी बाई पर गर्व है I भारत के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है

इनका जन्म 1835 ई. में सतारा के निकट बाई नामक स्थान पर हुआ। मनु के पिता का नाम मोरो पंत था। वे बिठूर के पेशवा के यहाँ नौकरी करते थे। इनकी माता का नाम भागीरथी था 4 वर्ष की उम्र में उनकी माता का स्वर्गवास हो गया I बाल अवस्था से रानी लक्ष्मी बाई काफी बहादुर और निडर थे बचपन में रानी लक्ष्मी बाई को मनु के नाम से जानते थे

बचपन में पेशवा बाजीराव के पुत्र नाना साहब के साथ खेला करती थी। बचपन से ही मनु पुरुषों की वेशभूषा पहना करती थी और उन्हें घुड़सवारी तलवारबाजी तीर चलाने में काफी रूचि थी इसलिए उन्होंने इस प्रकार के क्षेत्र में भी महारत हासिल की I
इनका विवाह झांसी के महाराज बाल गंगाधर राव उसके साथ हुआ था जिसके बाद उनका नाम रानी लक्ष्मी बाई हो गया शादी के बाद उनको एक संतान की प्राप्त हुई थी लेकिन उनकी संतान के कुछ दिनों के भीतर मृत्यु हो गई।

इसके बाद उन्होंने दामोदर राव नाम के एक लड़के को गोद लिया था लेकिन उसी समय अंग्रेजों ने हड़प नीति योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत जिन राज्यों के कोई उत्तराधिकारी नहीं होंगे उन राज्यों को ब्रिटिश सरकार अपने अधीन कर लेगी ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने झांसी की रानी को कहा कि वह अपने राज्य को छोड़कर चली जाए।

वरना सरकार उनके राज्य को कब्जा कर लेगी लेकिन झांसी की रानी ने अंग्रेजों के इस चेतावनी को अनदेखा करते हुए उनके साथ लंबा संघर्ष या लेकिन आखिर में वह अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई लेकिन जब तक वह जिंदा रहे उन्होंने अंग्रेजों को झांसी के अंदर प्रवेश करने से रोका इसलिए झांसी की रानी हर नारी के लिए एक प्रेरणा के स्रोत हैं और उन्हें इस बात को साबित किया है कि अगर नारी किसी भी काम को करने का प्रण ले तो उस काम को वह पूरा कर सकती है।

रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध 500 शब्दों में – Rani Lakshmi Bai Par Nibandh

1857 स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी भूमिका


लोगों के मन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश था इस बात को ध्यान में रखते हुए पूरे देश में 21 मई 1857 में एक साथ अंग्रेजों पर हमला करने की योजना बनाई गई थी लेकिन उससे पहले ही अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध का बिगुल फूंक दिया गया लिए 31 मई, 1857 की तारीख तय की गई थी लेकिन इससे पहले ही लोगों में क्रांति उत्पन्न हो गई और 7 मई, 1857 को मेरठ और 4 जून, 1857 को कानपुर में क्रांति हो गई।

अंग्रेजों के कमांडर ने विद्रोह को दबाने की कोशिश की। उन्होंने सागर, गढ़कोटा, मडखेडा, वानपुर, मदनपुर, शाहगढ़, तालबेहट पर अपना शासन स्थापित कर लिया उसके बाद वो झांसी की तरफ बढ़ने लगे हैं ऐसे में झांसी लक्ष्मी बाई को इस बात की खबर हो गई है।

उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा की और अंग्रेज और झांसी लक्ष्मी बाई के बीच में संघर्ष हुआ I इस युद्ध में रानी लक्ष्मी बाई के साथ तात्या टोपे और नाना साहब जैसे क्रांतिकारी महापुरुष रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया और अंग्रेजों के दांत खट्टे किए अंग्रेजों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे I

रानी लक्ष्मीबाई का संघर्ष


अंग्रेजो के द्वारा राज्य हड़प नीति जारी की गई थी जिसके तहत जिन राज्यों के उत्तराधिकारी नहीं थे उन राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया जाएगा ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव नाम के एक लड़के को छोड़ दिया और अंग्रेजों के सामने उसे प्रस्तुत किया लेकिन हम लोगों में दामोदर को राज्य का उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया है।

उनका कहना था कि उत्तराधिकारी राजा का स्वयं का बेटा होना चाहिए ना की गोद लिया हुआ। ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई और अंग्रेजो के बीच में संघर्ष शुरू हो गया और रानी लक्ष्मीबाई ने साफ शब्दों में कहा कि मैं झांसी नहीं दूंगी इसके बाद अंग्रेजों ने घोषणा की थी अब से झांसी ब्रिटिश साम्राज्य का अभिन्न अंग हो गया है इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया I

रानी लक्ष्मी बाई के साथ तात्या टोपे, नवाब वाजिद अली, शाह की बेगम हजरत महल, मुगल सम्राट, बहादुरशाह, नाना साहब के वकील अजीमुल्ला शहागढ़ के राजा, अंतिम मुगल सम्राट की बेगम जीनत महल, इत्यादि लोग उनके साथ इस संघर्ष में सम्मिलित है।

झाँसी का पहला ऐतिहासिक युद्ध


झांसी का ऐतिहासिक युद्ध 23 मार्च, 1858 को शुरू हुआ था। रानी लक्ष्मी बाई के आदेश के अनुसार तोपची गुलाम गौस खां ने तोपों से ऐसे गोले फेंके अंग्रेज पूरी तरह से हैरान हो गए और अंग्रेजों के साथ झांसी का युद्ध लगातार सात दिनों से चला अंग्रेजों के पास विशाल सेना की।

जबकि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना छोटी थी लेकिन उन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया इस युद्ध में उन्होंने अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर लड़ाई लड़ी थी इस युद्ध में उनका घोड़ा घायल हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद भी रानी लक्ष्मीबाई की हिम्मत नहीं आ रही है और उन्होंने युद्ध करना जारी रखा।

इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई कालपी पहुंचे जहां पर उन्होंने तात्या टोपे के साथ मिलकर योजना बनाई उनके इस योजना में नाना साहब, मर्दन सिंह, अजीमुल्ला जैसे लोग सम्मिलित थे के मुताबिक उन्होंने ग्वालियर पर हमला कर उसे किले पर कब्जा कर लिया जीत का का उत्सव कई दिनों तक झांसी में मनाया गया।

लेकिन रानी लक्ष्मीबाई इसके खिलाफ थी उन्होंने कहा कि यह वक्त जश्न मनाने का नहीं बल्कि और भी अच्छे तरीके से योजना बनाने का है ताकि अंग्रेजों को हम अपनी सीमा में प्रवेश करने से रोक सके रानी लक्ष्मीबाई के द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई में राज्य की महिलाओं को भी सम्मिलित किया गया था के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया था I

रानी लक्ष्मीबाई पर 10 पंक्तियां – Rani Laxmi Bai Essay 10 Lines

  1. रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 में हुआ।
  2. इनका जन्मस्थान काशी के असीघाट, वाराणसी में हुआ था।
  3. इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम ‘भागीरथी बाई’ था।
  4. इनका बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ रखा गया परन्तु प्यार से उन्हें मनु कहा जाता है।
  5. जब मात्र चार साल उम्र में उनकी माता का देहांत हो गया
  6. जब इनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया है तो अपने पिता के साथ झांसी चली गई
  7. रानी लक्ष्मी बाई का बचपन उनके नाना के घर में गुजरा बचपन काल में इन्हें छबीली भी कहा जाता था।
  8. 12 साल की उम्र में इनकी शादी झांसी राजा गंगाधर राव के साथ हुआ था
  9. शादी के बाद इनका नाम रानी लक्ष्मीबाई हो गया
  10. महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी किले के अंदर ही महिला-सेना खड़ी कर ली थी, जिसका संचालन वह स्वयं मर्दानी पोशाक पहनकर करती थीं।

इन्हे भी पढ़ें:-

उम्मीद करता हूं दोस्तों की “रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध ( Rani Lakshmi Bai essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें रानी लक्ष्मीबाई से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Rani Lakshmi Bai In Hindi

Q: रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में किस नाम से जाना जाता था?

Ans: मनु के नाम से।

Q: रानी लक्ष्मीबाई के पति का क्या नाम था?

Ans: महाराज गंगाधर राव।

Q: रानी लक्ष्मीबाई का विवाह कितनी उम्र में हुआ था?

Ans: 12 वर्ष की उम्र में इनका विवाह हो गया था।

Q: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणि कर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था।

Q: रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु किस तरह हुई?

Ans: झांसी से रानी लक्ष्मीबाई दूसरे विद्रोहियों के साथ ग्वालियर आ गई थीं। लेकिन कैप्टन ह्यूरोज की युद्ध योजना के चलते आखिरकार रानी लक्ष्मीबाई घिर गईं। शहर के रामबाग तिराहे से शुरू हुई आमने-सामने की जंग में रानी को एक गोली लगी और वह स्वर्णरेखा नदी के किनारे शहीद हो गईं।

Q: रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कितने वर्ष की उम्र में हुई थी?

Ans: रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 29 वर्ष की आयु में हुई थी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top