राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है: राष्ट्रपति का पद भारत के सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक है। भारत में प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली है और यहां लोगों के द्वारा प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली द्वारा चुने गए शासक ही देश को चलाते हैं। लेकिन भारत के राष्ट्रपति, अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह ही नहीं चुने जाते हैं। भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव थोड़ी भिन्न चुनाव पद्धति द्वारा किया जाता है।
यानी भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से जनता हिस्सा नहीं लेती है, बल्कि जनता के वोट से चुने हुए प्रतिनिधि ही इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं। इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव को प्रत्यक्ष चुनाव कहा जाता है। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है…
राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है?
केंद्रीय चुनाव आयोग ने देश के 15वें राष्ट्रपति को चुन लिया है। द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई है। हम आपको बता दे कि संविधान के अनुच्छेद 52 में राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 53 के मुताबिक संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी जिसका प्रयोग वह प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार करेगा। राष्ट्रपति पद का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है।
इस निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। विधान परिषद् के सदस्य, और लोकसभा तथा राज्यसभा के नामांकित सदस्य इस निर्वाचक मंडल में शामिल नहीं होते हैं। निर्वाचक मंडल में शामिल सदस्यों के मतों का मूल्य भी अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के मत का मूल्य एक होता है और विधानसभा के सदस्यों का इससे अलग होता है। ये राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है।
वोट कैसे गिने जाते हैं?
मतदान करने वाले प्रत्येक सदस्य के मत का शुल्क क्या है, ये ऐसे सवाल हैं, जो आम लोगों के लिए कठिन हो सकता हैं।क्योंकि भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव परोक्ष पद्धति से होता है और जनता इसमें सीधे भाग नहीं लेती, बल्कि जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि इसमें भाग लेता है।
राष्ट्रपति के चुनाव में कौन वोट करता है ?
भारत के राष्ट्रपति पद का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 55 के तहत मतदान, वोट मशीन के माध्यम से किया जाता है।राष्ट्रपति एक चुनावी मंडल के माध्यम से चुना जाता है। इस इलेक्टोरल पद्धति के योगदानकर्ताओं को इलेक्टोरल मंडल के नाम से भी जाना जाता है। निर्वाचक मंडल में राज्य और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों के साथ-साथ विधान सभा के सदस्य भी भाग लेते हैं।
लेकिन जो सांसद राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं वे इसमें हिस्सा नहीं लेते हैं। ऐसे में राज्यसभा के 12 सदस्य और लोकसभा के 2 सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा नहीं लेते हैं। जनप्रतिनिधियों के माध्यम से चुने गए या आम जनता के माध्यम से चुने गए योगदानकर्ता ही इसमें भाग लेते हैं। इस प्रकार लोकसभा, राज्य सभा और राज्य की विधान सभा के सदस्य इसमें भाग लेते हैं।
सदस्यों के वोट के मूल्यों का निर्धारण कैसे होता है?
लोगों के वोट की कीमत राज्य की आबादी के आधार पर तय होती है। इस नियम को आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम कहा जाता है।
राष्ट्रपति बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए ?
संविधान के अनुच्छेद 58 में राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यता का वर्णन है। संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता –
- वह भारत का नागरिक होना चाहिए और उसने अपने 35 साल पूरे कर लिए हो।
- उसे लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने के योग्य होना चाहिए।
- उन्हें दिवालिया घोषित नहीं किया गया हो।
- उन्हें किसी भी प्रकार मुकदमे और अदालती कार्यवाही में लिप्त ना पाया जाए ।
- उसे लाभ का कोई पद नहीं रखना चाहिए।
- लेकिन इसके बाद के पदों को राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए छूट दी गई है – आधुनिक राष्ट्रपति, आधुनिक उपराष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल, केंद्र या राज्य के मंत्री।
राष्ट्रपति का कार्यकाल और शपथ
- राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश निर्वाचित होने पर राष्ट्रपति को शपथ दिलाते हैं।
- मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश राष्ट्रपति को शपथ दिला सकता है।
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति का निर्वाचन
- भारत के प्रथम राष्ट्रपिता के निर्वाचन की जानकारी निम्नलिखित है-
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में निर्विरोध चुन लिया गया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य के पहले राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। मई 1952 में राष्ट्रपति पद के लिए औपचारिक चुनाव हुए, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद विजयी हुए। मई 1957 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति का दूसरा चुनाव भी जीता। उपरोक्त चुनावों में के.टी.शाह (1952) और एन.एन दास (1957) डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निकटतम प्रतिद्वंद्वी बन गए थे।
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भारत के राष्ट्रपति के चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी:-
11वे राष्ट्रपति के चुनाव से पहले इस चुनाव में प्रमुख व्यक्तियों के खड़े होने के उद्देश्य से ही एक अध्यादेश जारी किया गया था, इसके तहत राष्ट्रपति के पद के लिए कैंडिडेट के माध्यम से संकल्प पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया गया था।
अनुच्छेद 56 – राष्ट्रपति को 5 वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तिथि से पहले 5 वर्ष की गणना की जाती है।
राष्ट्रपति के चुनाव में एकल संक्रमणीय मत क्या है ?
आम तौर पर मतदान में, एक सदस्य एक उम्मीदवार की पसंद में अपना वोट डालता है, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में ऐसा नहीं होता है। भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव में अनोखे तरीके से वोटिंग होती है। इस तकनीक को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (Single Transferable Vote System) कहा जाता है। इसकी विशेषता यह है कि मतदाता केवल एक वोट ही डालता है, हालांकि वह अपने मतदान को प्राथमिकता के आधार पर वर्गीकृत करता है।
इसके तहत वह बैलेट पेपर पर अपनी पहली वरीयता, दूसरी वरीयता और 0.33 वरीयता की जानकारी दे सकता है।पहले प्राथमिक वरीयता के मतों की गणना की जाती है।यदि प्राथमिक वरीयता वोट अब विजेता का निर्धारण नहीं करता है, तो मतदाता का दूसरा वरीयता वोट स्थानांतरित कर दिया जाता है। यही कारण है कि इस तरीके को एकल संक्रमणीय मत कहा जाता है।
राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों और विधायकों के वोट का मूल्य
राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेने वाले सांसदों और विधायकों के वोट की कीमत अलग होती है। अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोट की कीमत भी अलग-अलग होती है। इसमें देश की जनसंख्या ही मुख्य मानक के रूप में कार्य करती है। उस देश के एक विधायक के एक वोट की कीमत हर देश की आबादी और उसकी विधानसभा में लोगों की संख्या के आधार पर तय होती है।
राष्ट्रपति चुनाव में मतपत्र अलग-अलग होते हैं
भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों और विधायकों के मतपत्र भी अलग-अलग होते हैं। सांसदों को एक हरा मत दिया जाता है, और विधायकों को एक लाल मत दिया जाता है। यही नहीं, वोट डालने के लिए चुनाव आयोग की मदद से उन्हें खास तरह के पेन भी दिए जाते हैं, जिससे वे वोट मार्क करते हैं। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि सदस्य के लिए समान कलम से लिखकर मतदान करना अनिवार्य है। अन्यथा, इसे प्राप्त करने या किसी अन्य पेन के उपयोग में विफल रहने पर, उस वोट को अमान्य माना जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव में, सभी आवेदकों के नाम मतपत्र पर अंकित होते हैं। मतदाता को उन्हें अपनी पसंद के आधार पर संख्याओं में रैंक करना होता है जिसमें संबंधित उम्मीदवारों के नाम के सामने संख्या के रूप में 1 या 2 शामिल होते हैं।वैसे अगर वोटर चाहे तो अपनी पहली प्राथमिकता को बेस्ट मार्क कर सकता है.सभी आवेदकों के लिए प्राथमिकता में लिखना अनिवार्य नहीं है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – Related FAQs
राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष होता है या अप्रत्यक्ष?
उपराष्ट्रपति के चुनाव में कौन कौन भाग लेते हैं
राष्ट्रपति का चुनाव किसके द्वारा होता है
राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है
राष्ट्रपति के कार्य क्या क्या है ?
राष्ट्रपति का चुनाव कितने साल में होता है
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है
भारत के राष्ट्रपति चुनाव में कौन मतदान कर सकते हैं ?
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने आपको राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो। इससे जुड़े किसी भी प्रश्न के लिए आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।