नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक और बेहतरीन पोस्ट में। आज के लेख में हम बात करेंगे Subhash Chandra Bose के बारे में। सुभाष चंद्र बोस भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी विचारधारा के राजनेता थे भारत की आजादी में उनका योगदान अतुल्य रहा है।
ऐसे में अगर आप Subhash Chandra Bose के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि निबंध की शुरुआत कैसे करें तो हमारा आर्टिकल आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होगा इसलिए हम आपसे निवेदन करेंगे कि आर्टिकल को आखिर तक पढ़ें ताकि आपको पूर्ण जानकारी मिल सके।
इस पोस्ट के माध्यम से हमने बताया है कि सुभाष चंद्र बोस कौन थे, सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब और कहां हुआ था, सुभाष चंद्र बोस कहां तक पढ़े थे तथा भारत की आजादी में उनका क्या योगदान था इत्यादि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें।
इस पोस्ट में आपको सुभाष चंद्र बोस पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 100 शब्दों में, Subhash Chandra Bose essay in hindi in 300 words, Subhash Chandra Bose par nibandh 500 शब्दों में तथा सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन इत्यादि।
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 100 शब्दों में – Essay On Subhash Chandra Bose In Hindi
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुभाष चंद्र बोस का नाम बहादुर और क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर किया जाता है I अंग्रेजो के खिलाफ कई क्रांतिकारी उन्होंने लड़ाई लड़ी I सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि अंग्रेजी सरकार को भारत से अगर उखाड़ फेंकना है तो उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी तभी जाकर भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होगा I
सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारी विचारधारा के थे उनका विश्वास हिंसा और लड़ाई में था उनका मानना था कि आजादी मिलती नहीं है बल्कि उसे छीन कर लेना पड़ता है I
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक में हुआ था उनके पिता का नाम उनकी नाथ बोस था जो कटक के न्यायालय में बैरिस्टर थे इनकी माता का नाम प्रभावती देवी था जो कुशल ग्रहणी थी I
बचपन काल में कहा जाता है कि उन्होंने प्रिंसिपल के ऊपर हमला किया था जिसके कारण से इन्हें इंटर कॉलेज से निकाल दिया गया था सुभाष चंद्र बोस भारत के ऐसे राजनेताओं में से सम्मिलित थे। जिन्होंने उस जमाने में आईपीएस की परीक्षा पास की थी लेकिन उन्होंने नौकरी करने की बजाय भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए 1921 में गांधी जी के द्वारा चलाया गया असहयोग आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस ने बढ़ चढ़कर भाग लिया I यही से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक क्रांतिकारी नेता के तौर पर उनका पदार्पण हुआ।
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 300 शब्दों में – Subhash Chandra Bose Par Nibandh
सुभाष चन्द्र बोस ने 1909 में कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट विद्यालय में अपना नामांकन करवाया। वहां के प्रधानाध्यापक बेनी माधव दास का उनके जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ा उनके बारे में कहा जाता है कि 15 साल की उम्र में उन्होंने विवेकानंद साहित्य का पूरा अध्ययन कर लिया था बचपन से ही सुभाष चंद्र बोस पढ़ने में काफी मेधावी थे।
1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट परीक्षा पास किया उसके बाद उन्होंने बंगाल के प्रेसीडेंसी कॉलेज में बीए ऑनर्स में दाखिला लिया ऐसा कहा जाता है कि उस समय उनके कॉलेज में शिक्षक और छात्रों के बीच में किसी बात को लेकर आंदोलन हो गया और उन्होंने उस आंदोलन में छात्रों का साथ दिया जिसके बाद कॉलेज ने उन्हें निकाल दिया I
उसके बाद उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज में उन्होंने दाखिला लिया उसके बाद बंगाल की 49 रेजीमेंट में सम्मिलित होना चाहते थे लेकिन उनकी आंखों में समस्या होने के कारण उन्हें निकाल दिया गया। Subhash Chandra Bose का सपना ताकि युवा सेना में भर्ती हो इसके लिए उन्होंने टेरिटोरियल आर्मी भर्ती की परीक्षा दी जहां वह पास हो इसके बाद उन्होंने अपनी बीए ऑनर्स की पढ़ाई प्रथम श्रेणी से पास किया और पिताजी के कहने पर वह आईपीएस की परीक्षा की तैयारी के लिए इंग्लैंड चले गए।
उस आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया इसके बाद सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया लेकिन गांधीजी इस बात से नाखुश थे और उन्होंने इसका विरोध किया। इसके बाद Subhash Chandra Bose ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और 1939 में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक नाम की एक पार्टी बनाई उनका मानना था कि देश को आजाद करने के लिए हिंसा के रास्ते का इस्तेमाल करना होगा क्योंकि आजादी अहिंसा के रास्ते से नहीं मिल सकती थी I
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उस समय देश में दो विचारधारा परस्पर तरीके से एक दूसरे के साथ चल रही थी एक तरफ महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति थी और दूसरी तरफ सुभाष चंद्र बोस की हिंसा के नीति देश इन दो विचारधाराओं में बट गया था I
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्दों में – Long Essay On Subhash Chandra Bose In Hindi
सुभाष चंद्र बोस भारत के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत के आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया और अपना दिन-रात और आराम सब कुछ त्याग दिया उनका एक ही लक्ष्य था कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाना जिसके लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया था I
कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र क्यों दिया?
1938 में सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने लेकिन पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके और गांधीजी के बीच में मनमुटाव की स्थिति पैदा हो गई और गांधी जी ने इस बात का खुला विरोध किया गांधीजी नहीं चाहते थे कि सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस पार्टी में बने रहे क्योंकि दोनों के विचारधारा काफी अलग थी गांधीजी को हिंसा में विश्वास नहीं था।
वह अहिंसा के पुजारी थे जबकि सुभाष चंद्र बोस हिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी जांच आते थे जिसके कारण सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाने के बारे में सोचा I सबसे महत्वपूर्ण बात किए सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस पार्टी के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं।
सुभाष चंद्र बोस ने हिटलर से मुलाकात की
सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के आंखों में धूल झोंक हुए अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुंच गए जहां पर उन्होंने जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से मुलाकात किया और उनका विश्वास था कि हिटलर की मदद से वह अपना एक मजबूत सेना निर्मित कर पाएंगे।
ऐसा कहा जाता है कि उस समय द्वितीय विश्व युद्ध का समय चला था I जर्मनी ब्रिटेन का उस समय सबसे बड़ा शत्रु था इसलिए सुभाष को विश्वास था कि हिटलर उनकी मदद जरूर करेगा।
इसके बारे में एक रोचक कहानी भी है कहा जाता है कि जर्मनी में हिटलर ने अपना जैसा कोई हमशक्ल बना कर रखा था क्योंकि हिटलर को दुश्मनों से ज्यादा खतरा था। ऐसे में जब सुभाष चंद्र बोस हिटलर से मिलने जर्मनी गए तो दो बार सुभाष चंद्र बोस से हाथ उनके हमशक्ल ने मिलाया। तब सुभाष चंद्र बोस ने कहा कि मैं सुभाष भारत से आया हूं । लेकिन आप हिटलर नहीं है तीसरी बार जब एक व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस के पास हाथ मिलाने के लिए आया तो सुभाष चंद्र बोस ने कहा कि मैं सुभाष भारत से आया हूं और आप हिटलर है I
Subhash Chandra Bose के ऐसे कहने पर ही हिटलर ने कहा कि वाकई में आप एक सच्चे देशभक्त हैं और आप अपने देश को आजाद कराने के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें हम आपका साथ देंगे ऐसे में जर्मनी की मदद से सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की I
आजाद हिंद फौज की स्थापना
ऐसा कहा जाता है कि उनके सेना में एशिया के कई देशों में रहने वाले भारत के लोगों को भी सम्मिलित किया गया था आजाद हिंद फौज की स्थापना 5 जुलाई 1940 को किया गया था और उस सेना के प्रमुख सेना अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस थे I
सुभाष चंद्र बोस का विश्वास था कि अंग्रेजो के खिलाफ दूसरे ने करवाई कर कर भारत को आजादी दिलाई जा सकती है 12 सितंबर 1944 को उन्होंने रंगून के जुबली हॉल से काफी मध्यमिक भाषण दिया और उन्हें कहा कि अब हमारी स्वतंत्रा सुनिश्चित है लेकिन हमें मिलकर काम करना होगा तभी जाकर हम भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवा पाएंगे I
उसी क्षण उन्होंने एक नारा भी बुलंद किया था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा सुभाष चंद्र बोस के इस नारे के द्वारा भारत में आजादी की एक नई ऊर्जा का संचार हुआ लाखों देशभक्ति सुभाष चंद्र बोस के इस नारे से प्रेरित होकर अंग्रेजो के खिलाफ उन्होंने संघर्ष करना शुरू कर दिया।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कैसे हुई?
सुभाष चंद्र की मृत्यु आज एक रहस्य का विषय बना हुआ है कि आखिर में सुभाष चंद्र बोस के साथ हुआ क्या था कहा जाता है कि 1945 में जापान जाते समय उनका प्लेन दुर्घटना का सो गया और उसमें उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु प्लेन दुर्घटना में नहीं हुई है लेकिन आज तक कोई भी इस रहस्य को सुलझा नहीं पाया है कि आखिर में सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हुई कैसे?
सुभाष चंद्र बोस पर 10 पंक्तियां – Subhash Chandra Bose Par 10 Line
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक क्षेत्र में 23 जनवरी 1897 को हुआ।
- नेताजी अपने अपने घर में अपने माता पिता की 9वी संतान थे।
- इनके पिता जानकीनाथ बोस कटक के एक मशहूर वकील थे।
- नेताजी ने अपने बीए की परीक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय से पास की थी।
- 1920 में आईपीएस की परीक्षा में इन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया था।
- नेताजी का गांधीजी के साथ में मतभेद था।
- 1943 में नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की।
- 1939 में नेताजी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
- अपने पूरे जीवन काल में 11 बार जेल गए।
- नेताजी का प्रसिद्ध नारा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
उम्मीद करता हूं दोस्तों की “सुभाष चंद्र बोस पर निबंध ( Subhash Chandra Bose essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें सुभाष चंद्र बोस से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।
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