इस पोस्ट में आपको जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) से संबंधित जानकारी मिलेगी जैसेकि; जल प्रदूषण क्या है, जल प्रदूषण की परिभाषा क्या है, जल प्रदूषण कैसे होता है, जल प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है इत्यादि पूरी जानकारी आपको मिलेगी| उम्मीद करता हूँ आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी तथा आपको पूरी जानकारी मिली होगी|
आज पूरे विश्व के लिये जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) एक बहुत बड़ा सामाजिक मुद्दा बन चूका है। जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) अपने चरम बिंदु पर पहुँच चुका है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर के अनुसार नदी जल का 70% तक प्रदूषित हो चूका है।
भारत की प्रमुख नदियों जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, प्रायद्वीपीय और दक्षिण तट की नदी व्यवस्था बड़े पैमाने पर प्रदूषण से प्रभावित हो चुकी है। आज जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) इतना बढ़ गया है की मानव को पीने के लिए स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है| बहुत से शहरों में भूमिगत जल पूरी तरह समाप्त हो गया है या समाप्त होने के कगार पर है|
अगर इसी प्रकार से जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) बढ़ता रहा तो कुछ ही समय में एक बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी| हमारी आने वाली पीढ़ियों को पीने के लिए भी जल नहीं मिलेगा|
आज के समय में जहां हम विकास की बात कर रहें है उसी विकास को प्राप्त करने के लिए हमनें प्रकृति के साथ बहुत अधिक छेड़छाड़ की है जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ेगा| आज मानव, प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है|
अगर इस बारे में जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो हमारे सामने एक बहुत बड़ी विकराल समस्या पैदा हो जाएगी| अगर आज हम जल के बारे में नहीं सोचेंगे तो कल हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं होगा| इसलिए समय रहते हमें इस समस्या का निवारण करना पड़ेगा|
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जल प्रदूषण की परिभाषा – Jal Pradushan Ka Arth
पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक स्थानों से उत्पन्न दूषित जल के स्वच्छ जल में मिलने से स्वच्छ जल प्रदूषित हो जाता है। वास्तव में हम इसे ही जल प्रदूषण ( Water Pollution ) कहते हैं।
इस प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म नष्ट या प्रभावित होते हैं। प्रदूषित जल घरेलू या किसी अन्य कार्य के लायक नहीं रहता| कुछ जगह पर लोग दूषित जल को पीने के लिए मजबूर है क्योंकि उनको स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं हो पता| दूषित जल को पीने से अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती है|
जल प्रदूषण के कारण – Jal Pradushan Ke Karan
पीने के अतिरिक्त घरेलू, सिंचाई, कृषि कार्य, औद्योगिक तथा व्यावसायिक कार्यों आदि में बड़ी मात्रा में जल की खपत होती है तथा उपयोग में आने वाला जल उपयोग करने के उपरान्त दूषित जल में बदल जाता है| यह दूषित जल जब स्वच्छ जल में मिलता है तो उसे भी दूषित कर देता है।
कई कारखानों तथा फैक्ट्रियों आदि से निकला हुआ प्रदूषित जल ( Jal Pradushan ) नदियों या नालों में बहा दिया जाता है जिसके कारण उस नदी या नाले का जल भी दूषित हो जाता है|
1. औद्योगीकरण के इस युग में आज कारखानों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है लेकिन इन कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों को नदियों, नहरों, तालाबों व नालों आदि में बहा दिया जाता है जिससे जल में रहने वाले जीव-जन्तुओं पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है साथ ही जल पीने योग्य भी नहीं रहता और दूषित हो जाता है।
2. कुछ लोग नदियों, नालों, तालाबों तथा नहरों में मलमूत्र त्याग देते हैं जिसके कारण जल दूषित ( Jal Pradushan ) हो जाता है|
3. जब जल में परमाणु परीक्षण किये जाते हैं तो जल में इसके नाभिकीय कण मिल जाते हैं और ये जल को दूषित करते हैं।
4. गाँव में लोगों के नहरों में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने, बर्तन साफ करने इत्यादि से भी ये जल स्रोत दूषित होते हैं।
5. कुछ लोग घरेलू उपयोग में आने वाले जल को बर्बाद कर रहे हैं| बेवजह नल को खुला छोड़ देते हैं या जहां जितनी जल की मात्रा की आवश्यकता होती है उससे कहीं अधिक बहा देते हैं|
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मानव के अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना बहुत आवश्यक है। जल की अनुपस्थित में मानव कुछ दिन ही जिन्दा रह पाता है क्योंकि मानव के शरीर का एक बड़ा हिस्सा जल ही होता है। अतः स्वच्छ जल के अभाव में किसी प्राणी के जीवन कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
यह सब बातें मानव को मालूम होते हुए भी बिना सोचे – समझे हमारे जल-स्रोतों में ऐसे पदार्थ मिला रहा है जिसके मिल जाने से जल प्रदूषित हो रहा है। जल हमें नदी, तालाब, कुएँ, झील आदि से प्राप्त होता है और उसी में हम दूषित जल मिला देते हैं|
जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण आदि ने हमारे जल स्रोतों को दूषित कर दिया है जिसका मौजूदा प्रमाण है कि हमारी सबसे पवित्र गंगा नदी, जिसका जल कई वर्षों तक रखने पर भी स्वच्छ व निर्मल रहता था लेकिन आज यही पावन गंगा नदी दूषित हो चुकी है|
ऐसी ही कई नदियाँ व जल स्रोत दूषित हो रहे हैं। यदि हमें मानव सभ्यता को बचाना है तो इन प्राकृतिक संसाधनों को दूषित होने से रोकना होगा है|
नदियों तथा नहरों में डाले गये कचरे से जल के स्व:पुनर्चक्रण की क्षमता के घटने के कारण जल प्रदूषण बढ़ता है| उच्च स्तर के औद्योगिकीकरण होने के बावजूद दूसरे देशों की तुलना में जल प्रदूषण की स्थिति भारत में अधिक खराब है।
केन्द्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गंगा सबसे अधिक प्रदूषित नदी है| एक आकलन के अनुसार, गंगा नदी में हर रोज लगभग 1,400 मिलियन लीटर सीवेज़ और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा लगातार छोड़ा जा रहा है। जिसके कारण गंगा नदी दूषित हो गई है|
दूसरे प्रमुख उद्योग जिनसे जल प्रदूषण हो रहा है जैसे चीनी मिल, भट्टी, ग्लिस्रिन, टिन, पेंट, साबुन, कताई, रेयान, सिल्क, सूत आदि जो जहरीले कचरे निकालती है।
1984 में, गंगा के जल प्रदूषण को रोकने के लिये गंगा एक्शन प्लान को शुरु करने के लिये सरकार द्वारा एक केन्द्रिय गंगा प्राधिकारण बोर्ड की स्थापना की गयी थी। इस योजना के अनुसार हरिद्वार से हूगली तक बड़े पैमाने पर 27 शहरों में प्रदूषण फैला रही लगभग 120 फैक्टरियों को चिन्हित किया गया था।
लखनऊ के पास गोमती नदी में लगभग 19.84 मिलियन गैलन कचरा लुगदी, कागज, भट्टी, चीनी, कताई, कपड़ा, सीमेंट, भारी रसायन और वार्निश आदि के फैक्टरियों से मिलता है।
जल प्रदूषण के प्रभाव – Jal Pradushan Ke Prabhav
जल में कारखानों से मिलने वाले अवशिष्ट पदार्थ जल स्रोत को दूषित करने के साथ-साथ वहाँ के वातावरण को भी गर्म करते हैं जिससे वहाँ की वनस्पति व जन्तुओं की संख्या कम होगी और जलीय पर्यावरण भी असन्तुलित हो जायेगा।
समुद्रों में होने परमाणु परीक्षण से जल में नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो कि समुद्री जीवों व वनस्पतियों को नष्ट करते हैं या नुकसान पहुंचाते है और समुद्र के पर्यावरण सन्तुलन को भी बिगाड़ देते हैं।
जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां – Jal Pradushan Se Hone Wali Bimariyan
दूषित जल पीने से हमारे शरीर मे अनेक बीमारियां हो जाती है। दूषित जल से डायरिया, कब्ज, अपच, पीलिया, लिवर संक्रमण, मलेरिया, उल्टी, दस्त व पेट की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए स्वच्छ पानी पीना चाहिए।
स्वच्छ जल जो कि सभी सजीवों को अति आवश्यक मात्रा में चाहिए, इसकी कमी हो जायेगी और स्वच्छ जल उपलबध नहीं होगा है|
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कैसे रोकें जल प्रदूषण – Jal Pradushan Ke Upay
1. कारखानों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ इन अवशिष्ट पदार्थों को निष्पादन से पूर्व दोषरहित किया जाना चाहिए। कारखानों से निकले कचरे को नदी या नहर में नहीं डालना चाहिए।
2. नदी या अन्य किसी जल स्रोत में अवशिष्ट बहाना या डालना गैरकानूनी घोषित कर प्रभावी कानून कदम उठाने चाहिए तथा इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए।
3. कार्बनिक पदार्थों के निष्पादन से पूर्व उनका आक्सीकरण कर दिया जाना चाहिए।
4. पानी में जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए रासायनिक पदार्थ, जैसे ब्लीचिंग पाउडर आदि का प्रयोग करना चाहिए ताकि पानी मे मौजूद कुछ हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाएं।
5. अन्तर्राष्टीय स्तर पर समुद्रों में किये जा रहे परमाणु परीक्षणों पर रोक लगानी चाहिए।
6 समाज व जन साधारण में जल प्रदूषण के खतरे के प्रति चेतना उत्पन्न करनी चाहिए। इसके प्रति समाज को जागरूक करना चाहिए तथा जल सरंक्षण के लिए मुहिम चलानी चाहिए।
जल प्रदूषण ( Jal Pradushan ) से बचने के लिये सभी उद्योगों को मानक नियमों को मानना चाहिये। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को काफी सख्त कानून बनाने चाहिये ताकि जल को प्रदूषित करने वालों पर रोक लगाई जा सके। उचित सीवेज़ निपटान सुविधा का प्रबंधन हो तथा सीवेज़ और जल उपचार संयंत्र की स्थापना की जानी चाहिए। सुलभ शौचालयों आदि का निर्माण करना चाहिये।
1. Jal pradushan ( Water Pollution ) kya hai?
2. Jal pradushan Ke Karan?
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