परोपकार पर निबंध – Paropkar Essay In Hindi

आज के लेख में हम बात करेंगे Paropkar essay in hindi के बारे में। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि परोपकार करना मानवता का सबसे बड़ा कर्तव्य है और जो मनुष्य परोपकार नहीं करता है उसके अंदर मानवता नाम की कोई चीज नहीं है इसलिए व्यक्ति को परोपकारी होना चाहिए।

ऐसे में अगर आपको प्रकार के ऊपर निबंध लिखना है और उसके बारे में आपको कोई भी जानकारी नहीं है की आप परोपकार पर कैसे एक बेहतरीन निबंध लिख सकते हैं तो हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आर्टिकल को आखिर तक पढ़े ताकि आपको निबंध लेखन में कोई प्रॉब्लम ना हो।

इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि परोपकार का क्या महत्व है, परोपकार के क्या लाभ है तथा परोपकार का क्या अर्थ है तथा परोपकारी होना क्यों आवश्यक है? इत्यादि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट को हमने आसान भाषा मे लिखने का प्रयास किया है ताकि आपको सभी बातें आसानी से समझ आ सकें।

इस पोस्ट में आपको परोपकार पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे परोपकार पर निबंध 100 शब्दों में, परोपकार पर निबंध 300 शब्दों में, Paropkar par nibandh 500 शब्दों में तथा परोपकार के महत्व पर 10 लाइन इत्यादि।

परोपकार पर निबंध 100 शब्दों में – Paropkar essay in hindi

परोपकार करना यानी मानवता की सेवा करना अगर आप एक मानव हैं तो आपको परोपकारी होना चाहिए राह चलते किसी भी बुजुर्ग आदमी की सहायता करना या अंधे को रास्ता दिखाना एक प्रकार प्रकार का ही काम होता है इसलिए आपको हमेशा जीवन परोपकारी कामों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए I

सच्चे मानव की पहचान परोपकारी कर्मों से होती है I अगर आप किसी भी व्यक्ति की सहायता निस्वार्थ रूप से करते हैं तो ऐसे चीजों को ही हम लोग परोपकार करते हैं इसमें आपका कोई भी स्वार्थ नहीं है बल्कि उसमें करुणा मानवता जैसे चीजें सम्मिलित हैं I

आजकल के दौर में मनुष्य इतना ज्यादा व्यस्त हो गया है कि उसके अंदर लोगों की मदद करने की जवाब ना आया है वह पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है इला हर एक व्यक्ति अधिक से अधिक पैसे कमाने की होड़ में लगा हुआ है ऐसे में अगर आप अधिक पैसे कमा भी ले तो उन पैसों का क्या होगा क्योंकि जब आप की मृत्यु होगी तो पैसे तो यहीं पर आ जाएंगे अगर कोई चीज यहां पर रहेगी तो आपके द्वारा किया गया कर्म जिसकी प्रशंसा और चर्चा लोगों के द्वारा की जाएगी I

परोपकार पर निबंध 300 शब्दों में – Paropkar Par Nibandh

परोपकार बनना काफी आसान है इसके लिए आपको अपने मन में निस्वार्थ भावना को उत्पन्न करना होगा जिसके द्वारा आप एक परोपकारी मनुष्य बन पाएंगे

और सभी के भलाई के लिए काम करेंगे आप जब किसी के लिए काम करेंगे तो आप इस बात को नहीं देखेंगे कि वह व्यक्ति आपके करीब है या आपका दुश्मन है बल्कि आप सभी के लिए काम करेंगे तभी जाकर आप एक परोपकारी इंसान बन सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर आम का पेड़ आम के पेड़ का फल कोई भी व्यक्ति खा सकता है चाहे वह गरीब हो या चोर हो आम का पेड़ इस बात का भेदभाव नहीं करता है कि वह अपने फल केवल ऐसे व्यक्तियों को देगा जो सच्चे रास्ते पर चलते हैं बल्कि वह अपना फल सभी को प्रदान करता है ठीक उसी प्रकार व्यक्ति को भी अपने जीवन में आम के पेड़ की तरह बनना होगा और अपने कर्तव्य का निर्वाह बिना भेदभाव किए करना होगा तभी जाकर वह एक परोपकारी व्यक्ति बन सकता है I

भारतीय संस्कृति के मूल भावना में परोपकार की भावना नहीं थे भारत के इतिहास में ऐसे अनेक लोग हुए हैं जिन्होंने अपने परोपकारी भावना से समाज और लोगों का हित किया है I भारत में छोटे बच्चे को बचपन काल से ही परोपकार की शिक्षा दीक्षा दी जाती है ताकि वह बड़े होकर एक सच्चा और अच्छे इंसान बन सके I भारत के प्रभारी की किताबों में प्रकार की भावना को विस्तार पूर्वक व्याख्या किया गया है इसलिए हमें अपने पुराणिक किताबों को पढ़ना चाहिए और वहां से प्रकार की भावना को अपने अंदर आत्म जागृत करना चाहिए।

तभी जाकर भारतीय संस्कृति की जो पहचान है वह हमेशा बनी रहेगी I
जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है मनुष्य एक्सेस्ड और सामाजिक प्राणी है इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य बनता है कि देश और समाज के हित के लिए निस्वार्थ भावना से काम करें जब परोपकार की भावना उत्पन्न होगी तभी जाकर देश में भाईचारा बढ़ेगा और लोग एक दूसरे का सहयोग करेंगे बिना एक दूसरे के सहयोग से आप अपने जीवन में विकास नहीं कर सकते हैं परोपकार ऐसी शक्ति है जो किसी भी मनुष्य को सच्चा मानवता क्या है उसकी सीख देती है I

भारत का इतिहास ऐसे महान महापुरुषों से भरा हुआ है जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के देश और समाज के लिए काम किया जैसे डॉक्टर राजेंद्र, प्रसाद एपीजे अब्दुल कलाम, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक इत्यादि जिन्होंने अपना सर्वस्व निछावर मानवता के लिए कर दिया इसलिए हमें ऐसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि हम भी एक परोपकारी व्यक्ति बन सके I

परोपकार पर निबन्ध 500 शब्दों में – Essay On Philanthropy In Hindi

प्रकृति और परोपकार का संबंध

प्रकृति और परोपकार का वैसा ही संबंध है जैसा एक पुत्र और माता-पिता का होता है जिस प्रकार एक माता निस्वार्थ भावना से अपने पुत्र का पालन पोषण करती है उसमें उसका कोई विश्वास नहीं है कि उसका पुत्र बड़ा होकर उसके बुढ़ापा का सहारा बनेगा ठीक उसी प्रकार प्रकृति और परोपकार का संबंध है पर टिकी में जितने भी चीजें या घटनाएं संचालित होती है उन सब के मूल भावना में प्रकार की भावना सम्मिलित है।

उदाहरण के तौर पर पेड़ पर फल का आना मौसम का बदलना, वर्षा होना, सूरज का अस्त या उदय होना, रात को चंद्रमा का दिखाई पड़ना सभी प्रकार की घटनाएं निरंतर होती रहती हैं उनमें किसी प्रकार का स्वार्थ नहीं है वह हमेशा निस्वार्थ भावना से काम करती हैं सूरज अपनी रोशनी सभी व्यक्तियों को देता है ना कि कुछ लोगों को रात में चांदनी की शीतलता पशु सभी को प्राप्त होती है I

आप अगर इस बात को ऐसे समझे कि अगर इनमें से कोई स्वार्थी हो जाएगा तो ऐसे में मानव का का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा इसलिए आप इन से प्रेरणा लेकर जीवन में स्वार्थ हीन बने I भारत का इतिहास ऐसे प्राचीन ऋषि-मुनियों राजाओं से भरा हुआ है जिन्होंने समाज के हित और लोगों के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए I

परोपकार के लाभ

Paropkar के शारीरिक और मानसिक कई लाभ है। अगर आपका मन स्वस्थ है तो आपको शारीरिक किसी प्रकार की पीड़ा या तकलीफ का सामना नहीं करना
दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक चाणक्य का कहना था कि जिसके हृदय में प्रकार की भावना होती है उसके समाज कोई भी विपत्तियां आपदा भटकती नहीं है बल्कि उसे जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त होता है।

परोपकार करने वाला व्यक्ति हमेशा संतुष्ट आपको दिखाई पड़ेगा उसके मन में कभी भी इस बात को लेकर दुखिया तकलीफ नहीं होगा कि उसने जीवन में कुछ प्राप्त नहीं किया है बल्कि वह हमेशा आपको खुश और पसंद दिखाई पड़ेगा क्योंकि परोपकार करने वाला व्यक्ति अपने कर्तव्य के द्वारा समाज और लोगों के हित के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देता है इसके इसके बाद भी वह हमेशा समाज के हित के लिए काम करते रहता है वह हमेशा कर्म करता है फल की चिंता नहीं करता है परोपकारी व्यक्ति की प्रशंसा और गुणगान पूरे विश्व में किया जाता

परोपकार जीवन का आदर्श और पहचान है


जिस व्यक्ति में परोपकार की भावना होती है उसका जीवन आदर्श होता है और उसकी पहचान समाज में महापुरुषों के कतार में की जाती है वह अपने परोपकार के भावना से समाज देश के लिए जो भी करता है उसकी प्रशंसा सभी लोग करते हैं दूसरों का हित चाहने के उद्देश्य ही महान योद्धा करने अपना सुरक्षा कवच दान कर दिया था ईसा मसीह अपनी पहचान गए थे भगवान शंकर ने विषपान किया था भगत सिंह फांसी पर लटक गए थे।

उपसंहार

इसके अलावा ऐसे अनेक उदाहरण है जहां पर आप को दिखाई पड़ेगा परोपकार के द्वारा मनुष्य महान बन सकता है और उसका जीवन दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत समाज में प्रभारी व्यक्ति का कद अमीर व्यक्ति से ज्यादा होता है दूसरों के लिए कष्ट सहना एक प्रकार का तप होता है जो इस तक की अग्नि को अपने अंदर संभावित कर लेता है उसका जीवन कुंदन हो जाता है ऐसे व्यक्ति मरने के बाद भी अमर रहते हैं I प्रेम और परोपकार व्यक्ति के लिए एक सिक्के के दो पहलू है I

परोपकार पर 10 पंक्तियां – Paropkar Par 10 Line

  1. दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है।
  2. दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है।
  3. महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण हेतु अपना शरीर त्याग दिया और अपनी हड्डियाँ दान में दे दीं।
  4. परोपकार के के द्वारा मनुष्य अमर हो जाता है।
  5. भगवान श्री कृष्ण ने मानवता की भलाई के लिए कई प्रकार के परोपकारी काम किए थे I
  6. जीवन में ऐसे कई काम है जो आप परोपकार की भावना से कर सकते हैं जैसे गरीबों के लिए घर बनाना उनके बच्चों के लिए पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था करना असहाय लोगों के लिए आश्रम खोलना इत्यादि।
  7. कम पढ़े लिखे लोगों को शिक्षित करना एक प्रकार का परोपकार है।
  8. दीन दुखियों को मजबूत और सशक्त बनाना एक प्रकार का परोपकारी काम है।
  9. परोपकार सबसे बड़ा धर्म है इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।
  10. परोपकार की भावना को अपने अंदर विकसित करना चाहिए तभी जाकर समाज और देश का हित हो पाएगा I

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उम्मीद करता हूं दोस्तों की “परोपकार के महत्व पर निबंध ( Paropkar essay in hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें Paropkar से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

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FAQ About Paropkar In Hindi

Q: परोपकारी समाज के लिए आवश्यक क्यों है?

Ans: समाज के के विकास के लिए परोपकार की भावना प्रत्येक मनुष्य में होना चाहिए तभी जाकर समाज का समुचित विकास हो पाएगा नहीं तो हमारा समाज काफी पीछे रह जाएगा और ऐसे में इस समाज में लोगों के बीच में सहयोग की भावना भी नहीं विकसित हो पाएगी जिससे भाईचारा कभी भी मनुष्य के बीच में स्थापित नहीं हो पाएगा।

Q: परोपकार के द्वारा देश का विकास कर पाना संभव है क्या?

Ans: परोपकार के द्वारा ही देश का विकास किया जा सकता है क्योंकि जब कोई भी नेता या सत्ता में बैठा हुआ व्यक्ति देश के हित के लिए निस्वार्थ भावना से काम करता है तभी जाकर देश का विकास हो पाता है I

Q: भारतीय संस्कृति का परोपकार से क्या संबंध है?

Ans: भारतीय संस्कृति का परोपकार से काफी प्राचीनतम संबंध है भारत की संस्कृति की मूल भावना और आत्मा पुरस्कार है क्योंकि भारत का इतिहास परोपकारी व्यक्तियों से भरा हुआ है I

Q: परोपकार की भावना अपने मन में कैसे जागृत करेंगे?

Ans: परोपकार की भावना को अपने अंदर जागृत करने के लिए आप को नियमित रूप से इसका अभ्यास करना होगा और समाज के हित के लिए छोटा-मोटा कर्तव्य का निर्वाह करना होगा तभी जाकर आपके अंदर परोपकार की भावना जागृत हो पाएगी I

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